मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में एक ऐसा गणेश मंदिर है जहां भगवान श्री गणेश मूषक की सवारी नहीं बल्कि घोड़े की सवारी करते हैं यही कारण है कि यहां पर भगवान गणेश की पूजा कल्कि गणेश के रूप में होती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा हिंदू धर्म के पवित्र मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां पर श्री गणेश की पूजा कल्कि गणेश के रूप में होती है तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के जबलपुर शहद की रतन नगर की पहाडि़यों पर स्थिति सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है यह प्रतिमा लगभग 50 फीट की ऊंचाई लिए हुए है यहां भगवान श्री गणेश की प्रतिमा शिला स्वरूप में है। आपको बता दें कि इस मंदिर में भक्तों का खूब जमावड़ा लगता है और भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कल्कि गणेश के पास अर्जी लगाते हैं और कामना पूरी हो जाने पर भगवान को सिंदूर चढ़ाने की विशेष परंपरा है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान श्री गणेश की लगातार 40 दिन तक पूजा आराधना करने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और कामना पूरी होने के बाद भक्तजन श्री गणेश के दर्शन कर अनुष्ठान करते हैं जो भक्त सिंदूर चढ़ाने की अर्जी देते हैं वे इच्छा पूरी होने के बाद सिंदूर श्री गणेश को अर्पित करते हैं।
आपको बता दें कि सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में स्थित प्रतिमा में भगवान श्री गणेश घोड़े पर सवार है यहां पर गणपति की प्रतिमा विशाल रूप में विराजमान है मान्यता है कि श्री गणेश की यह प्रतिमा पाताल तक समाई हुई हैं और भगवान की विशाल सूंड धरती के बाहर नजर आती है और पूरा शरीर धरती के अंदर है इस मंदिर में भक्त भगवान को सिंदूर अर्पित करते हैं झंड़ा जलाने और वस्त्र अर्पित करने की परंपरा काफी लोकप्रिय मानी जाती है। जो भी भक्त इस मंदिर में पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ पूजा अर्चना कर अपनी कामना प्रभु से कहता है उसकी इच्छाएं जरूर पूरी हो जाती है और श्री गणेश का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।