Wednesday, June 7, 2023

गुजरात के इस शिव मंदिर मे दर्शन मात्र से पुरी होती है सारी मनोकामना।

भगवान शिव को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता है। भगवान शिव भारतीय सभ्यता में इस तरह मौजूद हैं कि उन्हें भारत के विभिन्न राज्यों में महाकाल, शंभु, नटराज, भैरव, आदियोगी आदि हजारों नामों से जाना जाता है।

भारत में ऐसे लाखों शिव मंदिर हैं जहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में सबसे पहले 12 ज्योतिर्लिंग आते हैं। उन्हीं में से एक है ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’।

इस लेख में हम आपको नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा और अन्य जानकारी बताने जा रहे हैं। इसके अलावा हम आपको यह भी बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। चलो पता करते हैं।

नागेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?

यह प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारत के किसी अन्य राज्य में नहीं बल्कि गुजरात के द्वारका में स्थित है। बताया जाता है कि यह मंदिर ढाई हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। भारत के लोकप्रिय 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से ‘नागिन भगवान’ के नाम से भी जाना जाता है।

यहां भगवान शिव की उनके ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा की जाती है और उन्हें यहां दारुकवन के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर परिसर में भगवान शिव की लगभग 25 मीटर ऊंची प्रतिमा भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

नागेश्वर मंदिर की कथा:

लोक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस प्रान्त में एक वैश्य रहता था और शिव का अनन्य भक्त था। वह भगवान की पूजा में इतना लीन था कि वह अक्सर पानी पीना या खाना तक भूल जाता था।

लेकिन वैश्य की पूजा में विघ्न डालने के लिए एक राक्षस आ जाता। एक बार उन्होंने एक वैश्य को कैद कर लिया, लेकिन कैद में भी वैश्य ने शिव की पूजा करना नहीं छोड़ा। जब राक्षस तंग आ गया और वैश्य को मारने ही वाला था, तब भगवान शिव प्रकट हुए और उसे बचाया। कहा जाता है कि इस घटना के बाद वैश्य को मुक्ति मिल गई और वह हमेशा के लिए शिवलोक पहुंच गया। उसके बाद इस स्थान पर एक ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया।

नागेश्वर मंदिर का निर्माण:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। मंदिर परिसर के पास करीब 80 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गई है। इस प्राचीन मंदिर की बनावट भी श्रद्धालुओं को काफी आकर्षित करती है। कहा जाता है कि मंदिर की दीवारों पर तरह-तरह के चित्र और शब्द संस्कृत में लिखे हुए हैं।

श्रावण व महाशिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

श्रावण के महीने में हर दिन लाखों श्रद्धालु इस पवित्र मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यहां स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

जैसे श्रावण मास में महाशिवरात्रि के दिन भी इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस दिन सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मंदिर परिसर के आसपास मेला भी लगता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे ?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुंचना बहुत ही आसान है। यहां आप देश में कहीं भी पहुंच सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले गुजरात के द्वारका पहुंच सकते हैं और यह मंदिर द्वारका शहर से करीब 18 किमी दूर है।

आप ट्रेन से भी पहले द्वारका रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं, यहाँ से आप दर्शन के लिए मंदिर तक पहुँचने के लिए स्थानीय टैक्सी और कैब ले सकते हैं। आपको हवाई मार्ग से पोरबंदर पहुंचना होगा। यह पोरबंदर से लगभग 107 किमी और जामनगर से लगभग 126 किमी दूर है।

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