Thursday, November 30, 2023

Chaitra Navratri 2023: जानिए कब से शुरू होगी चैत्र नवरात्रि, घटस्थापना और पूजा विधान का शुभ मुहूर्त भी जानिए

हिंदू धर्म में साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होगी। चैत्र मास में प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना होगी।नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस पर्व का श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है।

भारत में मनाए जाने वाले 4 नवरात्रि त्योहारों में से 2 खास हैं। और अन्य 2 को गुप्त रूप से मनाया जाता है। प्रत्यक्ष नवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जबकि गुप्त नवरात्रि में देवी भगवती की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त हिंदू धर्म में नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से नए साल की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात 10 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी। अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर संक्रांति होगी। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 39 मिनट तक रहेगी।

हिंदू धर्म में साल में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होगी। चैत्र मास में प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना होगी।नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह पर्व बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस पर्व का श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है।

घटस्थापना अनुष्ठान
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और माता का आह्वान किया जाता है। इसके लिए मिट्टी के बर्तन में मिट्टी रखकर जौ बोया जाता है। उसके बाद एक तांबे के बर्तन में गंगाजल यानी कलश भरकर उसमें हल्दी, कुमकुम, अक्षत, जौ, सिक्का, आम के पत्ते या 5 अशोक के पत्ते डालकर विसर्जित कर दें। इन सभी सामग्रियों को रखने के बाद एक नारियल को लाला वस्त्र में लपेटकर कलाव में बांध दें और कलश पर कुमकुम और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं, फिर कलश को बोए हुए जौ के मिट्टी के बर्तन के बीच रखें और उस पर नारियल रखें। कलश या आप चाहें तो माता रानी की मूर्ति के सामने भी कलश रख सकते हैं।

घाट स्थापित करने के बाद आप माता दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को लाल कपड़े से बिछाई हुई चोकी पर रखें और फिर चावल का नवग्रह करें और नवमा देवी का आह्वान करें। इसके बाद धूप, दीप और कुमकुम अक्षत आदि से मां की पूजा करें। और प्रसाद के रूप में नैवेध या फल या मिष्ठान्न का भोग लगाएं। उसके बाद मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। अंत में मां दुर्गा का पाठ करें और आरती भी गाएं। 9 दिन तक ऐसे ही 9 देवियों की पूजा करें। और आठवें या नौवें दिन कन्याओं को भोजन कराएं और उपहार दें।

चैत्र नवरात्रि में व्रत-पूजा का विधान
चैत्र नवरात्रि का व्रत करना अत्यंत लाभकारी होता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां भगवती धरती पर निवास करती हैं। इसलिए भक्तों को माता रानी को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा और भक्ति से माता की पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के दिनों में धरती पर माता का वास होता है। इसलिए भक्तों को विधि-विधान से मां की पूजा और अर्चना करनी चाहिए। नवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्तों को प्रतिपदा के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत करना चाहिए। व्रत में केवल फलाहार ही करना चाहिए या एक बार भोजन करने के बाद भी आप यह व्रत रख सकते हैं।

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