रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को लेकर दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। एक तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के दौरे पर पहुंचे हैं तो दूसरी तरफ जापान के प्रधानमंत्री किशिदा भारत से सीधे यूक्रेन पहुंचे हैं. अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में ड्रोन बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। बाइडेन प्रशासन ने रूस को ड्रोन तकनीक के हस्तांतरण पर कार्रवाई की जो कारगर साबित नहीं हुई। रूस को चीन से ड्रोन की सप्लाई मिल रही है। चीन पहले ही रूस को 12 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के ड्रोन दे चुका है।
रूसी सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार, चीन ने अब तक रूस को सबसे अधिक ड्रोन की आपूर्ति की है। यह जानना भी मुश्किल है कि चीनी ड्रोन में अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। डीजेआई एक प्रसिद्ध ड्रोन निर्माता है, लेकिन रूस को आपूर्ति छोटे ड्रोन निर्माताओं से लेकर बड़े तक होती है। बिक्री चैनल इतने जटिल हैं कि यह भी ज्ञात नहीं है कि अमेरिकी घटकों को चीन से रूस भेजा जा रहा है या नहीं। संभव हुआ तो अमेरिका उन पर प्रतिबंध लगा देगा।
चीन सीधे रूस को ड्रोन की आपूर्ति नहीं करता बल्कि इसके लिए रूस के मित्र देशों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कजाकिस्तान, पाकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं। इन देशों के जरिए रूस तक ड्रोन पहुंचाए जाते हैं। रूस यूक्रेन के खिलाफ ड्रोन का सघन इस्तेमाल कर रहा है। विस्फोटक से लदे ड्रोन का इस्तेमाल शहरों के अंदर हमले के लिए भी किया जाता है।
यूक्रेन से जंग में चीन रूस का बड़ा मददगार साबित हो रहा है। चीन रूस के सबसे बड़े कच्चे तेल आयातकों में से एक है। हमले के वक्त चीन रूस को भारी आर्थिक मदद भी दे रहा है। हाल ही में दोनों देशों ने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन के तहत सैन्य अभ्यास भी किया था। चीनी राष्ट्रपति की रूस यात्रा इस बात का संकेत है कि चीन अब रूस को सहायता राशि बढ़ाएगा। ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।