Tuesday, December 5, 2023

H3N2 लक्षण: जानिए H3N2 क्या है ओर कितना घातक है? जिसमे पाये जाते है यह लक्षण…

H3N2 मौतें: भारत में वायरल फीवर (H3N2) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस वायरस के कारण कर्नाटक और हरियाणा में 1-1 मौत भी हुई है. देश में अब तक 90 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। तो देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 3 हजार से बढ़कर हो गई है। H3N2 वायरस से हुई मौतों के बाद सवाल उठता है कि क्या वायरल बुखार भी जानलेवा साबित हो सकता है.

दरअसल, कर्नाटक के बेंगलुरु में जिस शख्स की मौत हुई है, वह 82 साल के थे। डॉक्टरों का मानना ​​है कि ऐसे लोग जो अधिक उम्र के होते हैं, उन्हें कोई पुरानी बीमारी जैसे हृदय रोग, किडनी रोग, अनियंत्रित मधुमेह या कोई अन्य ऐसी बीमारी होती है, जिसके कारण उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों को एच3एन2 से सावधान रहने की जरूरत है।

मृतक में मौजूद थे ये लक्षण:

बता दें कि कर्नाटक में जिस शख्स की मौत हुई है, उसमें सर्दी, खांसी और गले में खराश जैसे लक्षण थे. मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलूर व आसपास के इलाकों में मेडिकल जांच कर रही हैं. लक्षण वाले लोगों के स्वाब सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। विभाग ने कई बीमारियों से ग्रसित लोगों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर नजर रखने के निर्देश जारी किए हैं. लोगों में जागरूकता पैदा की जा रही है कि लक्षण दिखने पर खुद से दवा न लें।

सूत्रों ने कहा कि राज्य में एच3एन2 के 50 से अधिक मामले सामने आए हैं और अकेले हासन जिले में छह मामलों की पुष्टि हुई है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक कर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने कहा कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों को एच3एन2 वैरिएंट का सबसे ज्यादा खतरा है। यह 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को संक्रमित करता है। सुधाकर ने सलाह दी कि गर्भवती महिलाओं को भी सतर्क रहना चाहिए।

क्या वैक्सीन करेगी बचाव:

कोरोना का टीका एच1एन1 से कुछ सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन एच3एन2 के लिए फ्लू के टीके की सलाह दी जा रही है।

20 दिन में घट सकते हैं मामले:

हालांकि डॉक्टरों का मानना ​​है कि 15 से 20 दिन में इस वायरस का प्रकोप कम हो सकता है, जब मौसम में अचानक बदलाव आना बंद हो जाएगा।

रोकथाम के तरीके क्या हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि मास्क और सैनिटाइजर के इस्तेमाल से एच3एन2 को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस बीमारी का टेस्ट भी कोरोना टेस्ट की तरह ही किया जाता है। नाक और गले से सैंपल लिए गए हैं।

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