भारत के किसी भी कोने में चले जाइए, कोई न कोई मंदिर मिल ही जाता है। और इन मंदिरों की खास बात यह है कि इनसे जुड़े कुछ रहस्य भी हैं, जिन्हें जानकर कोई भी हैरान रह सकता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो उमापुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। आपको बता दें कि यह मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित है, जिसे पंचमुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भगवान गणेश का एक सुंदर मंदिर है, जिसे पंचमुखी गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। पंचमुखी गणेश मंदिर बेंगलुरु के हनुमंतनगर में कुमार स्वामी देवस्थानम के पास स्थित है। मंदिर के पास ही विश्वकर्मा आश्रम भी है।
आश्रम के छात्र मंदिर में आयोजित कार्यक्रमों में सेवा करते हैं।पंचमुखी गणेश 30 फीट ऊंचे गोपुरम पर विराजमान हैं। मंदिर का गोपुरम 30 फीट ऊँचा है, जिस पर गणेश जी की पंचमुखी मूर्ति बनी हुई है, यह सुनहरे रंग की है।
इस मूर्ति के पांच में से चार मुख चार दिशाओं में बने हैं और पांचवा मुख इन चार मुखों के ऊपर सामने की ओर है। इस पंचमुखी गणेश मंदिर में भगवान का वाहन चूहा नहीं है। बल्कि यहां भगवान गजानन की पूजा सिंह के साथ की जाती है। मंदिर का निर्माण 2007 में श्रीचक्र समिति द्वारा किया गया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह श्रीचक्र के आकार में बना है।
गणेश के 32 रूपों के चित्र मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश के 32 रूपों के सुंदर चित्र देखे जा सकते हैं। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन मंदिर में सत्यनारायण स्वामी की पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा, संकष्टी चतुर्थी और गणेश चतुर्थी के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
पानी की टंकी में रखे सिक्के मंदिर के अंदर 6 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा भी स्थापित है, काले पत्थर की यह मूर्ति भी पंचमुखी है। यह मंदिर अन्य गणेश मंदिरों से भी अलग है क्योंकि यहां भगवान का वाहन चूहा नहीं बल्कि शेर है।
मान्यता है कि सिंह सहित भगवान गणेश के इस रूप की पूजा करने से अहंकार का नाश होता है। मंदिर में एक छोटा सा पानी का कुंड है, कहा जाता है कि लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस कुंड में सिक्के डालते हैं।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश के 32 रूपों का सुंदर चित्र देखने को मिलता है। हर पूनम मंदिर में सत्यनारायण स्वामी की पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा, चतुर्थी और गणेश चतुर्थी के त्योहारों पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
मंदिर के अंदर 6 फीट ऊंची गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित है, काले पत्थर की यह मूर्ति भी पंचमुखी है। यह मंदिर भी अन्य गणेश मंदिरों से अलग है, क्योंकि यहां भगवान का वाहन रथ नहीं बल्कि सिंह है। शेर सहित भगवान गणेश के इस रूप की पूजा करने से पाखंड का नाश होता है। मंदिर में एक छोटा सा कुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इस कुंड में सिक्के डालते हैं ताकि उनकी हर मनोकामना शीघ्र पूरी हो।