टॉप भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने रविवार को यहां दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता जबकि लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य का सिलसिला तोड़ते हुए पहली बार पीला तमगा अपने नाम किया। निकहत ने 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया। वहीं दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पारकर को 5-2 से मात दी।
इस जीत से निकहत महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (छह बार की विश्व चैम्पियन) के बाद दो बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गईं। निकहत ने पिछले साल 52 किग्रा वजन वर्ग में खिताब जीता था। दोनों एशियाई मुक्केबाजों के बीच दिन का शुरुआती मुकाबला रोमांचक रहा। निकहत अपने 52 किग्रा वजन वर्ग से कम वजन वर्ग में खेलीं, वह पहले थोड़ी सुस्त दिखी क्योंकि ताम ने पहले आक्रमण किया। लेकिन कुछ सेंकेंड बाद घरेलू प्रबल दावेदार ने हमले तेज कर दिए, जिसके बाद उन्होंने दाई ओर दो ‘हुक’ और फिर सीधे मुक्का जड़ा।
Congratulations to @nikhat_zareen for her spectacular victory at the World Boxing Championships and winning a Gold. She is an outstanding champion whose success has made India proud on many occasions. pic.twitter.com/PS8Sn6HbOD
— Narendra Modi (@narendramodi) March 26, 2023
ताम को जकड़ने के लिए एक पेनल्टी अंक दिया गया, जिससे पहला राउंड निकहत के पक्ष में हो गया। ताम ने दूसरे राउंड में मजबूत वापसी की और वह तेज मुक्के जड़ने लगी, जिससे निकहत नीचे सिर करके खेलने को मजबूर हो गई, जिससे उन्हें एक पेनल्टी अंक मिला। वियतनाम की मुक्केबाज ने दूसरा राउंड 3-2 से अपने नाम किया। अंतिम तीन मिनट में दोनों मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश में आक्रमण किया। निकहत के ताकतवर दाएं हाथ के मुक्के से ताम गिर गई, जिससे ताम को ‘काउंट’ का सामना करना पड़ा और फिर ताम के मुक्के से भारतीय मुक्केबाज को ‘काउंट’ मिला।
शनिवार को नीतू गंघास (48 किग्रा) और स्वीटी बूरा (81 किग्रा) विश्व चैम्पियन बनी थीं। मेजबान भारत स्वर्ण पदकों के मामले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी करने की ओर बढ़ रहा है। ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन देर शाम में फाइनल के लिए रिंग में उतरेंगी। भारत ने 2006 में अपनी मेजबानी में चार स्वर्ण पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जिसमें देश के नाम आठ पदक रहे थे।