Thursday, November 30, 2023

Jaya Kishori Katha: शादी और संबंध बनाने को लेकर जया किशोरी ने सुनाई जो कथा, उससे मिलती है ये गहरी सीख..

Jaya Kishori view on marriage: मोटिवेशनल स्‍पीकर एवं मशहूर कथा वाचक जया किशोरी (Jaya Kishori) इन दिनों खूब चर्चा में हैं. जया किशोरी और छतरपुर बागेश्‍वर धाम के पीठाधीश्‍वर पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री (dhirendra krishna shastri) की शादी को लेकर सोशल मीडिया में खूब अफवाह उड़ी थी. धीरेंद्र कृष्‍ण शास्‍त्री भी इसे सिरे से खारिज कर चुके हैं. इसके बावजूद जया किशोरी की शादी की चर्चा लगातार हो रही है. वो धार्मिक पुस्तकों का हवाला देते हुए जीवन को आसान बनाने के उपाय बताती हैं. इन सबके बीच जया किशोरी ने शादी, लाइफ पार्टनर, नजर का दोष, चरित्र और संबंध बनाने और को लेकर बड़ी सीख दी है.

जया किशोरी ने अपनी कथाओं में शादी, चरित्र और जीवन में भगवान की भक्ति पर खूब रोशनी डालते हुए प्रवचन दिए हैं. उन्होंने प्रेम और प्यार में बड़ा बारीक अंतर समझाया है. जया किशोरी के मुताबिक जो खुद के पास जो भी है उसे दे देना, उसे प्यार कहते हैं. लेकिन जब हम खुद को अर्पण कर देते हैं, उसे प्रेम कहते हैं. चाहे वो रिश्तों में हो या भगवान में हो. अगर आप सच में चाहते हैं कि आपके रिश्ते हमेशा के लिए चलें तो आपको प्रेम की असली परिभाषा को समझ कर रिश्तों को निभाना सीखना होगा.

जया किशोरी ने अपनी कथा में एक बार अजामिल का वो प्रसंग सुनाया जो मनुष्य की दृष्टि से जुड़ा है. कन्नौज नगर में एक ब्राह्मण रहते थे. भगवान के बहुत बड़े भक्त थे. उनके एक बेटा था जिसका नाम था अजामिल. बालक जब बच्चे होते हैं तो उसे एक बात बारबार समझानी पड़ती थी. एक दिन उन्हे बच्चे का ध्यान नहीं रहा. बच्चा जंगल में चला गया. जहां उसने एक दंपत्ति को संभोग करते देख लिया. उसके मन में एक बुराई घर कर गई. बुराई पहले आंखों से प्रवेश करती है. आंख बिगड़ा तो सोंच बिगड़ी. सोंच बिगड़ी तो मन बिगड़ा. मन बिगड़ा तो चरित्र बिगड़ा, और चरित्र बिगड़ा तो समझो पूरा जीवन बिगड़ गया.

अजामिल की कथा: जया किशोरी ने आगे कहा कि एक अवगुण आ जाता है तो वो अपने भाई बंधुओं को ले आता है. फिर वो मदिरापान करने लगा. चोरी करने लगा. गलत स्त्रियों के साथ संग करने लगा. नशा करने लगा. गलत लोगों के साथ बैठने लगा. कुछ समय बाद उसके पिता की मृत्यु हो गई. सब काम खुला होने लगा. आजादी मिल गई. चोरियां डकैतियों में बदल गईं. सारे गलत काम उसी के घर में हो रहे थे. बड़ा महल खड़ा किया. सब गलत स्त्रियों को लेकर वो अपने घर आ गया. उसी शहर में एक श्रषि 100 साल की तपस्या करके उठे. वो नगर में आए लोगों से पूछा कि कोई ब्राह्मण है. मुझे एक रात बितानी है. कल मैं किसी और जगह चला जाऊंगा. लेकिन रात में ब्राह्मण के घर ही रुकूंगा.

बुराई कैसे प्रवेश करती है

तो लोगों ने कहा कि हैं तो एक ब्राह्मण लेकिन वो ब्राह्मण कहलाने लायक नहीं है. उसके कर्म बड़े खराब हैं. वहां ब्राह्मण का एक ही घर था अजामिल का. श्रषि बोले वो क्या करता है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. वो कैसा भी हो वो उसके कर्म है. लोगों ने पता बताया श्रषि गए उससे पूछा कि एक रात बिताने के लिए कमरा मिल सकता है. उसने कहा रुक जाइए. सिद्ध श्रषि थे एक रात में उन्होंने समझ लिया. बुराई कैसे प्रवेश करती है. वो एक ही रात में सब कुछ जान गए. सुबह जाते समय उन्होंने अजामिल से कहा कि कुछ वरदान मांग लो. उसने कहा नहीं सब कुछ मेरे पास है. फिर भी नहीं मांगो तो उन्होंने कहा कि चलो वरदान न लो पर मेरी एक बात मान लो तुम्हारी स्त्री दसवें गर्भ से है, तो तुम एक काम करना अपनी पत्नी से जब तुम्हे पुत्र पैदा हो तो तुम उसका नाम नारायण रखना.

यमदूतों से बची जान

अजामिल ने कहा ठीक है. श्रषि चले गए. आगे जैसा श्रषि ने कहा वैसा हुआ. पुत्र का नाम अजामिल ने नारायण रखा. क्योंकि वो घर का सबसे छोटा बालक है. तो उसके मुख में बस एक ही नाम. नारायण. सुबह शाम दिन रात बस नारायण. ये करो. वो करो. ये खाओ. ऐसा करो. ऐसा करते करते उसका बेटा नारायण बड़ा हो गया. एक दिन जब उसके जीवन का समय पूरा हुआ तो यमदूत लेने आए. अजामिल डर गया. वो जोर से चिल्लाया. नारायण मुझे बचाओ. उसने अपने बेटे को आर्त स्वर में पुकारा नारायण बचाओ. नारायण आ जाओ. उसका कहना था कि क्षीरसागर में भगवान विष्णु ने अपने दूतों को कहा मेरा कोई भक्त संकट में है उसे बचाओ. फौरन श्री हरि विष्णु के दूत पहुंचे और यमदूत उसके प्राण छोड़कर चले गए.

नजर बिगड़ी तो सब बिगड़ा

इसके बाद यमराज फौरन विष्णु जी के पास आए और बोले कि भगवन आपके भक्त के प्राणों का समय पूरा होता है तो मैं नहीं जाता तो मैं नहीं जाता, पर अजामिल जैसे पापी के लिए आपके पार्षद क्यों आए. तब भगवान ने कहा कि जो मेरा नाम अंतिम समय पर लेता है वो नर्क में नहीं जाता. यमराज ने कहा भगवान वो अपने बेटे को बुला रहा था. तब भगवान ने कहा कि चाहे बेटा समझकर या कुछ भी समझकर जो मेरा नाम लेता है वो बच जाता है. इस कथा के माध्यम से जया किशोरी ने बताया कि नजर बिगड़ी सब बिगड़ा.

संभोग का सही समय कौन सा है

अपनी अगली कथा में जया किशोरी ने पति-पत्नी के अंतरंग रिश्तों के बारे में एक और कथा सुनाते हुए क्या कहा, आइए जानते हैं. जया किशोरी ने कथा सुनाते हुए कहा, ‘राजा परीक्षित ने शुकदेव महाराज से कहा आप मुझे नरसिंह अवतार की कथा सुनाइए. राजा दक्ष की कन्या दिति अपने पति कश्यप श्रषि के पास शाम का समय था तब वो पुत्र की कामना से संतान की कामना से उनके पास आती हैं. क्योंकि संतान चाहिए पति ने कहा ये समय सही नहीं है. क्योंकि शाम का समय पूजा पाठ के लिए होता है. उस समय शाम के करीब 5.30 बजे और 6 बजे के बीच जिसे गोधूलि बेला कहते हैं. वो समय पूजा करने के लिए होता है. भगवान का ध्यान करने को होता है. उस समय संबंध नहीं बनाने चाहिए.’

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