भारत करोड़ों देवी – देवतााओं वाला एक अद्भुत देश है, जहां बड़े-बड़े भव्य मंदिरों के भगवानों की पूजा से लेकर मोटर साइकल तक की पूजा की जाता है। भारत में आस्था की पकड़ इतनी मजबूत बताई जाती है कि आपको हर दो ढाई किमी की दूरी पर इंसानी निवास वाले क्षेत्रों में किसी न किसी भगवान की मूर्ति या प्रतिक जरूर दिख जाएंगे। यह सोच से परे है कि आधुनिकता और सूचना दौर में भी भारत आज भी अंधविश्वास के चंगुल से पूरी तरह बाहर नहीं निकल सका है।
भारत के पिछड़े इलाको से लेकर विकसित क्षेत्रों में कई ऐसे मंदिर दिख जाएंगे जो अपनी अजीबोगरीब धार्मिक प्रथाओं के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। आज इस खास लेख में हम बात उन मंदिरों की करेंगे जहां की धार्मिक प्रथाएं किसी रहस्य से कम नहीं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान राजस्थान का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर सामान्य धार्मिक गतिविधियों से अलग भूत-प्रेत आत्माओं से निजात दिलाने वाला एक बड़ा केंद्र माना जाता है। सुबह से लेकर आपको श्रद्धालुओं से ज्यादा बुरी शक्तियों से पीड़ित लोगों का जमावड़ा दिखाई देगा।
यहां का नजारा इतना खतरनाक है कि कोई कमजोर दिल वाला यहां का मंजर देख लो तो.. प्राण छोड़ दे। यहां बुरी आत्माओं से पीड़ितों को राहत देने के लिए अजीबोगरीब हथकंडे अपनाए जाते हैं। जैसे छत से लटका देना, खौलते हुए पानी से स्नान करवाना, जंजीरों से बांध देना आदि। मेहंदीपुर बालाजी भारत के उन मंदिरों में शामिल है जहां आज भी तांत्रिकों की दुकान झाड़-फूंक के सहारे चलती है। जिनपर लोग आंख बंद कर विश्वास भी कर लेते हैं।
देवजी महाराज मंदिर, मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश का देवजी महाराज मंदिर भी अपनी अनोखी प्रथाओं के लिए चर्चा में रहता है। यह मंदिर भी ओझा-तांत्रिकों का बड़ा गढ़ माना जाता है, जहां बुरी शक्तियों से पीड़ित लोगों का इलाज किया जाता है। यह मंदिर अजीबोगरीब तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता है। यहां आत्माओं से निजात दिलाने के लिए ओझा पीड़ित के हाथ पर जलता हुआ कपूर रख देते हैं, यह तरीका शरीर के अंदर छुपे प्रेत को बाहर निकालने के लिए अपनाया जाता है।
पीड़ित को जितना भी शारीरिक दर्द हो उसका ख्याल नहीं रखा जाता है। इसके अलावा यहां सालाना एक ‘भूत मेला’ निकाला जाता है। अगर आपको ऐसा अजीबगरीब मेला देखना है तो यहां जरूर आएं ।
कोडुंगल्लुर भगवती मंदिर, केरल PC-Challiyan केरल का कोडुंगल्लुर भगवती मंदिर भद्रकाली को समर्पित है। यह मंदिर भी सामान्य धार्मिक गतिविधियों से ज्यादा अपने 7 दिवसीय भारनी महोत्सव के लिए ज्यादा जाना जाता है। इस अद्भुत उत्सव के दौरान औरत और मर्द लाल परिधान धारण करते हैं, जिनके हाथों में धारदार तलवार होती है।
इस दौरान उत्सव में हिस्सा लेने वाले सदस्य तलवार से अपनी शरीर को चोट पहुंचाते हैं जब तक कि सर और बाकी अंगों से रक्त की धार न निकले। जिसके बाद वे इसी हालत में शोर मचाते हुए मंदिर में प्रवेश करते हैं। यह पूरा मंजर काफी डरावना होता है। जिस वक्त ये भक्त शरीर से खून निकाल रहे होते हैं वो दृश्य रोंगटे खड़े कर देता है।