ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में ईश्वर पूजा को सर्वोत्तम माना गया है और भक्त सभी देवी देवताओं की विधिवत पूजा भी करते हैं लेकिन एक ऐसे देवता है जिने ब्रह्मांड का रचयिता कहा जाता है लेकिन फिर भी इनकी पूजा नहीं होती है वो देव भगवान ब्रह्मा है, भगवान ब्रह्मा को ना तो मंदिर में स्थान दिया गया है और न ही इनकी कोई प्रतिमा या चित्र घर में स्थापित की जाती है
केवल पुष्कर ही एक ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और उनकी प्रतिमा भी स्थापित है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि आखिर भगवान ब्रह्मा की पूजा क्यों नहीं होती है तो आइए जानते है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा ने धरती पर यज्ञ करने का विचार किया इसके लिए उन्होंने कमल का पुष्प पृथ्वी पर भेजा। कमल का पुष्प जिस जगह पर गिरा वो था राजस्थान का पुष्कर। कमल के पुष्प का अंश गिरने से उस स्थान पर तालाब बन गया। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी धरती लोक पर जब यज्ञ करने आए तब उनकी पत्नी सावित्री को किसी बात का ज्ञात न होने पर वे उस स्थान पर नहीं आ पाई यज्ञ का मुहूर्त बीतता जा रहा था और सभी देवी देवता भी यज्ञ स्थल पर पहुंच चुके थे
मुहूर्त बीत न जाएं इसके लिए ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से माता गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह करके उनके साथ शुभ मुहूर्त में यज्ञ किया। कुछ समय बाद जब ब्रह्मा की पत्नी सावित्री को पता चला तो वह भी पृथ्वी लोक आ पहुंची जहां उनके बगल में गायत्री माता को देखकर वह क्रोधित हो गई और ब्रह्मा जी को श्राप दे डाला कि आपकी पूजा पृथ्वी लोक में नहीं की जाएगी इस श्राप को देखते हुए सभी देवी देवताओं ने उनसे आग्रह किया कि वो अपने वचन वापस ले ले। जिसके बाद उन्होंने अपना श्राप वापस लिया ओर कहा कि केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा की जाएगी इसके बाद से पूरी दुनिया में भगवान ब्रह्मा का अकेला मंदिर पुष्कर में है और यहां पर ही भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है।