Thursday, November 30, 2023

महाभारत कालीन शीतला माता मंदिर गुरुग्राम, जहां दर्शन से पूरी हो जाती है भक्तों की हर मुराद..

Basoda Sheetala Ashtami 2023: बासोड़ा के मौके पर बासी भोजन खाने की प्रथा है और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। कुछ जगहों पर सप्तमी तिथि को बासोड़ा मनाया जाता है तो कुछ जगहों पर अष्टमी तिथि को। इस तरह यह पर्व 14 और 15 मार्च को मनाया जाएगा। बासोड़ा के मौके पर हम आपको बता रहे हैं गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर के बारे में खास बातें।

होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। हर वर्ष यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को आता है। कहीं यह पर्व आठ दिन बाद भी मनाया जाता है, जिसे इस तिथि को शीतला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 14-15 मार्च को मनाया जाएगा। शीतला सप्तमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मौसम में आए बदलाव के तौर भी मनाया जाता है। वैसे तो शीतला माता के कई मंदिर हैं लेकिन गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर शहर की एक अलग पहचान पेश करता है और सबसे खास माना जाता है। क्योंकि इस मंदिर का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है। शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के मौके पर यहां शीतला माता की पूजा की जाती है। आइए बासोड़ा के मौके पर जानते हैं इस मंदिर की खास बातें…

चुन्नी बांधकर मन्नत मांगते हैं श्रद्धालु:

शीतला माता को ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर आदि कई समाजों में उनकी कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है। गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में न केवल स्थानीय बल्कि दूसरे शहरों से भी लोग आकर शादी करते हैं या बच्चों का मुंडन कराते हैं। इस मंदिर के मेन गेट पर आपको बरगद का पेड़ लगा हुआ है। मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करवाने के लिए पेड़ से चुन्नी या मौली बांधकर शीतल जल चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी माता पूजा की जाती है।

महाभारत काल से है मंदिर का संबंध:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुरु द्रोण की नगरी गुरुग्राम में गुरु कृपाचार्य की बहन और महर्षि शरद्वान की पुत्री शीतला देवी के नाम से पूजा होती है। महाभारत के युद्ध के समय जब गुरु द्रोण द्रुपद पुत्र धृष्टघुम्न द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए थे तब उनकी पत्नी कृपि भी उनके साथ सती हो गई थीं। अपने पति के साथ चिता पर बैठते हुए कृपि ने लोगों को आशीर्वाद दिया कि इस सती स्थल पर जो भी मनोकामना लेकर आएगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।

हर कष्ट से छुटकारा दिलाती हैं माता:

गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर साल भर में करीब 15 और 18 लाख श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि देवी हर कष्टों से छुटकारा दिलाती हैं। माता शीतला के मंदिर में हर साल शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हजारों की संख्या में भक्त यहां माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। बच्चे किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें इसलिए यहां बच्चों का मुंडन भी कराया जाता है।

दिल्ली में होता था यह मंदिर:

गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। माता का यह मंदिर पहले दिल्ली के केशोपुर में हुआ करता था। हालांकि, 1910 के एक रिकॉर्ड के मुताबिक, करीब ढाई सौ से तीन सौ साल पहले शीतला माता ने गुरुग्राम के सिंघा जाट नाम के एक व्यक्ति को सपने में दर्शन देकर गुड़गांव में मंदिर बनाने के लिए कहा। इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ था।

Related Articles

Stay Connected

258,647FansLike
156,348FollowersFollow
56,321SubscribersSubscribe

Latest Articles