Marriage Remedies: राजस्थान (Rajasthan) अपनी सांस्कृतिक विरासत और अनूठे रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है. यहां हर त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा के बारे में आप जान लीजिए, जिसमें होली (Holi) से एक दिन पहले कुंवारे युवक इलोजी देवता (Eloji Devta) की पूजा करते हैं और शादी का वरदान मांगते हैं. कहा जाता है कि जो भी युवक कुंवारों के देवता इलोजी की पूजा करता है, उसकी शादी 1 साल के अंदर हो जाती है. राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर में इलोजी देवता की खासी मान्यता है. यहां कुंवारे युवक बड़ी संख्या में इलोजी देवता की पूजा करते हैं. इलोजी देवता का संबंध भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और हिरणाकश्यप के बेटे प्रह्मलाद के घर से बताया जाता है. आइए इस अनोखी परंपरा और इसकी पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं.
कुंवारे लड़के मांगते हैं शादी की मन्नत
बता दें कि जैसलमेर के पोखरण में लाल किले पर होली के 1 दिन पहले इलोजी देवता की पूजा होती है. कुंवारे लड़के पूजा में इलोजी देवता से शादी की मन्नत मांगते हैं. कुंवारे युवक इलोजी देवती की प्रतिमा की परिक्रमा करते हैं. पूजा में गुलाल और प्रसाद चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि जो लड़का इलोजी देवता की 5 बार परिक्रमा कर लेता है उसकी शादी जल्दी ही हो जाती है. पोखरण में सदियों से ये परंपरा चल रही है.
इलोजी देवता की कथा
किवदन्ती के मुताबिक, इलोजी देवता भक्त प्रह्लाद की बुआ होलिका के मंगेतर थे. एक बार जब होलिका अपने भाई हिरण्यकश्यप के पास आईं और उनका दुखा पूछा तो उन्होंने प्रह्लाद की हरि भक्ति के बारे में बताया. इसके बाद होलिका ने प्रह्लाद को मारने का फैसला किया. होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेंगीं तो होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गईं. लेकिन होलिका जल गईं और प्रह्लाद बच गए.
क्यों होती है इलोजी देवता की पूजा?
होलिका के मंगेतर इलोजी देवता ने जब उनकी मृत्यु की खबर सुनी तो वह बहुत आहत हुए. इसके बाद उन्होंने जीवनभर कुंआरे ही रहने का फैसला किया. तब से ही जिसकी शादी समय पर नहीं होती है वह इलोजी देवता की पूजा करता है और शादी के लिए आशीर्वाद मांगता है.